Bakuchiadi Churan

बाकचिकाद्य चूर्ण
गुण और उपयोग —
- यह चूर्ण रक्तशो धक, विरेचक आर कृष्ठघ्न है।
- इसके सेवन से रफ्त-विकार, कष्ट, वातरक्त, शरीर पर होने वाली छोटी-छोटी फंसियाँ आदि विकार नप्ट हा जात है।
मात्रा और अनुपान–२ से४ माशा तक गुर्च (गिलोय ) के क्वाथ या जल के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि : बाकची, हरे, बहेड़ा, आमला, चित्रकमल, शद्ध भिलावा, शतावर, सम्भालू, असगन्ध और नीम का पंचांग-प्रत्येक समान भाग लेकर, चूर्ण .कर ले।
वक्तव्य–इस योग में बाकची, चित्रकमूल, शु. भिलावा आदि तीक्ष्ण और उष्ण गुण-धमं वाली चीजें होने से पित्त विकृति वालों को कम अनुकूल पड़ता ह। देना ही पड़ ता घा क साथ दें। इसमें सम्भालू की बजाय उसके मूल में उत्पन्न होनेवाली पीली जड़ा जो की हल्दा का गाँठो जेसी किन्तु उससे लम्बी होती है, देना विशेष लाभकारी है, यह कुष्ठघ्न हाता है।