Badam Pak

बादाम पाक
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- दिमाग एवं हृदय की कमजोरी तथा शुक्र-क्षय, पित्तःविकार, नेत्र एवं शिरोरोग में लाभकारी। इसके सेवन से शरीर पुष्ट होता है।
- यह सर्दियों में सेवन करने योग्य उत्तम पुष्टई है।
- दिमागी काम करने वाले तथा सिर-दर्द वाले को इस पाक का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- किसी-किसी को सिर-दर्द का दौरा-सा होता है, महीना, दो महीना या इससे ज्यादे दिन पर सिर में दर्द प्रारम्भ हो जाता है।
- यह दर्द इतना तेज होता है कि रोगी बेचैन हो जाता है। इसके दो कारण हैं, एक तो पित्ताधिक्य और दूसरा कब्ज (बद्धकोष्ठ) होना। प्रथम कारण में तो वमन होने पर दर्द आप ही ठीक हो जाता है। उसमें इस पाक की उतनी आवश्यकता नहीं, परन्तु बद्धकोष्ठ वालों के लिये यह बहुत मुफीद दवा है, क्योंकि इसका प्रधान द्रव्य बादाम है, जो स्निग्ध और भूदु विरेचक होने के कारण मल को ढीला कर दस्त साफ लाता है।
- सिर-दर्द को नाश करना तो इसका खास काम है। यह चाहे पैत्तिक या वातिक कैसा भी हो। अत्तः सिर-दर्द वाले रोगी को इस पाक का अवश्य सेवन करना चाहिए।
- रात को सोते समय इसे गोदुग्ध या शीतल जल के साथ सेवन करने से दिमाग की कमजोरी मिटती है।
- आमाशय में संचित आम दोषां के इकठा हो जाने के कारण जो पेचिश हो जाती है, उसमें भी यह लाभदायक है।
- इसके सेवन से नया वीर्य बनता है।
- लगातार कुछ रोज तक इसके सेवन से शरीर में नया खून उत्पन्न होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।
- यह बल, वीर्य और ओज की वृद्धि करता है, रस-रक्तादि धातुओं को बढ़ाकर शरीर को कान्तियुक्त बना देता है।
- ध्वजभंग, नपुन्सकता, स्नायुदौर्बल्य में अतीव लाभदायक हैं।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 1 से 2 तोला गो-दुग्ध या जल के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – बादाम की मींगी 2 सेर को कपड़े से रगड़ कर पॉछ लें और इमामदस्ता में डालकर दरदरा कूट लें। फिर इसमें गो-घृत 20 तोला मिलाकर मन्द-मन्द अग्नि पर भून लें। पश्चात् 4 सेर चीनी कर चाशनी करें, इसमें केशर । तोला को जल के साथ खरल में पीस कर मिला दें और चाशनी गाढ़ी (लच्छेदार) बन जाने पर बादाम मिला कर खूब अच्छी तरह घोंटें तथा जावित्री, जायफल, सोंठ, मिर्च, पीपल, लौंग, दालचीनी, तेजपात, छोटी इलायची के बीज, बिदारीकन्द, कौंच के बीज, सफेद मूसली, खरेंटी के बीज, सालम मिश्री, शतावर, कमलगट्टा की गिरी, वंशलोचन–प्रत्येक ।- तोला लेकर किया हुआ चूर्ण तथा खरल में महीन पिसा हुआ 5 तोला रससिन्दूर, वंगभस्म 2 तोला, प्रवाल पिष्टठी 2 तोला लेकर: सबको एकत्र मिलाकर उपरोक्त चाशनी में डालकर अच्छी तरह मिलाकर चौड़े थालों में बर्फी जमा दें। पश्चात् छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुरक्षित रख लें। अधिक समय तक टिकाऊ रखने के लिए इसकी चाशनी चूरा बनाने जैसी गाढ़ी लेकर उसमें सब सामान मिलाकर ठण्डा होने पर कूटकर मोटी चलनी से छानकर रखना चाहिए।
वक्तव्य: इस पाक पर यदि चाँदी का वर्क लगाना हो, तो थाली में बफीं जमाते समय गरम-गरम पर ही चाँदी के वर्क भी आवश्यकतानुसार लगा दें। पाक ठण्डा हो जाने पर वर्क नहीं चिपकते हैं।