Agnimukh Mandur

अग्निमुख मण्डूर
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :- इसके सेवन से शोथ (सूजन) और पाण्डु रोग का नाश होता हैं। पाण्डु रोग पुराना हो जाने पर शरीर में जल भाग की वृद्धि हो जाती है, जिससे शरीर फूल जाता है। इसमें भूख नहीं लगती, मन्दाग्नि, अपचन, बद्धकोष्ठता आदि उपद्रव उत्पन्न होते हैं। ऐसी दशा में इम मण्डूर के सेवन से शरीर में रक्ताणुओं की वृद्धिं हो जल भाग कम हो जाता हे। यह दीपन-पाचन भी हे, अतः पाचकपित्त (जठराग्नि) को प्रदीप्त कर मन्दाग्नि को दूर करता है, फिर भूख अच्छी तरह लगने लगती है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 1-1- गोली सुबह-शाम घी और शहद के साथ सेवन करें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – 48 तोले मण्डूर (भस्म) को 8 गुने गोमूत्र में पकावें और पाक के अन्त में उसमें पीपल, पीपला-मूल, चव्य, चित्रक, सोंठ, देवदारु, नागरमोथा, त्रिकुटा, त्रिफला, वायविडंग प्रत्येक का कूट कपड़छन किया हुआ चूर्ण 4-4 तोला मिला, तीन-तीन रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। — भे,र. वक्तव्य |
त्रिकुटा के तीनों द्रव्यों (सोंठ, मिर्च, पीपल) को तथा त्रिफला के तीनों द्रव्यों (हरड़, बहेड़ा, आमला) को पृथक्-पृथक् 4-4 तोला लें।