Agnimukh Churan
अग्निमुख चूर्ण
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि:
भुना हुआ सफेद जीरा 10 तोला, सोठ 5 तोला, सेंधानमक 15 तोला, काला नमक 5 तोला, काली मिर्च 5 तोला, नींबू सत्व 5 तोला, पिपरमेण्ट 111 माशा लें। पिपरमेण्ट और नींबू सत्व को छोड़ कर शेष द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण करें। पश्चात् नींबू सत्व को सूक्ष्म पीस कर चूर्ण में मिला लें। फिर सब से अन्त में पिपरमेण्ट को खरल में मर्दन करके, चूर्ण में अच्छी प्रकार मिला कर, चूर्ण को सुरक्षित रख लें। – आनुभविक योग
मात्रा और अनुपान:
2-4 माशे तक भोजन के बाद सुबह-शाम जल के साथ दें या बिना जल के भी थोड़ा- थोड़ा चुटकी से मुँह में डालकर खाया जा सकता है।
गुण और उपयोग:
यह चूर्ण अत्यन्त स्वादिष्ट और दीपन-पाचन है। इस चूर्ण के प्रयोग से खट्टी डकारें आना, जी मिचलाना या मुँह में पानी भर जाना, भूख न लगना, अरुचि, उदरशूल, मन्दाग्नि आदि विकारों को नष्ट करता है। भोजन को अच्छी तरह पचा कर क्षुधा की वृद्धि करता है और उत्तम रुचिवर्द्धक है। विशेषतः उदर वायु पचा कर क्षुधा की वृद्धि करता है और उत्तम रुचिवर्द्धक है। विशेषतः उदर वायु (गैस) को शीघ्र शमन करता है।