Triushanadi Mandur

त्रिर्यूषणादि मण्डूर
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- इसके सेवन से पाण्डु, कुप्ठ, शोथ, उदररोग, उरूस्तम्भ, कफ, अर्श, कामला, प्रमेह और प्लीहा का नाश होता तथा इसके सेवन से शरीर में नवीन रक्त की उत्पत्ति भी होती हे।
- पाण्ड्रोगी के लिए यह महौषध है, पाण्डुरोग में अन्न के प्रति अरुचि, ज्वर, जी मिचलाना, विशेष प्यास लगना, देह में थकावट मालूम होना, सूजन, हृदय की कमजारी नाड़ी की गति मन्द हो जाना आदि लक्षण उत्पन्न हो जाने पर त्यूषणादि मण्डूर के उपयोग से आशातीत लाभ होता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 1-1 गोली सुबह-शाम मधु या गोमूत्र से दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – सोंठ, पीपल, कालीमिर्च, हरें, बहेड़ा, आँवला, नागरमोथा, वायविडंग, चव्य, चित्रक, दारुहल्दी की छाल, सोनामाखी भस्म, पीपलामूल और देवदारु–प्रत्येक का कपड़छन किया हुआ चूर्ण 8-8 तोला लें। इन दवाओं से दुगुना मण्डूरभस्म लेकर 8 गुने गोमूत्र में पकावें। गाढा होने पर उसमें उपरोक्त चूर्ण मिलाकर 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखाकर सुरक्षित रख लें।