Mahatriphaladi Ghrit

महात्रिफलादि घृत
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इसके सेवन से रक्तदुष्टि, रक्तस्रांव, रतौंधी, तिमिर, आँखो में ज्यादा दर्द होना, आँखों से कम दिखाई पड़ना, शरीर की कमजोरी आदि नेत्ररोग दूर होते हैं।
- त्रिफला की महिमा आयुर्वेदशास्त्र में बहुत वर्णित है तथा इसके उपयोग से लाभ उठाने वाले भी बहुत देखे जाते हैं। यह घृत नेत्रों के लिये बहुत लाभदायक है।
- केवल त्रिफला के जल से ही प्रातःकाल आँख धोने तथा त्रिफला का चूर्ण रात में मिश्री मिला, पानी के साथ लेने से आँख की ज्योति बढ़ जाती है, फिर इस घृत के सेवन से तो बड़ा ही अच्छा लाभ होता है, यह आनुभविक बात है।
- यदि पित्तवृद्धि के कारण आँखों में तकलीफ हो, जैसे आंखें ज्यादा सुर्ख हो जाना, आंखों , पलकें सूज जाना, प्रकाश में आँख नहीं खुलना, रोहे बढ़ जाना, दर्द होना आदि लक्षण उपस्थित होने पर, इस घृत का मिश्री मिलाकर सेवन करावें और त्रिफला के जल से प्रातःकाल आंखों को धोवें तथा रात के समय त्रिफला चूर्ण 3 माशे में बराबर मिश्री मिलाकर दूध या पानी के साथ दें। इस उपचार से बहुत शीघ्र लाभ होता है।
- वैसे भी जिन्हें नेत्ररोग की शिकायत बराबर बनी रहती हो, वे भी यदि नियमित रूप से – कुछ रोज तक इस घृत का सेवन करें, तो आँख तो अच्छी हो ही जायेगी, साथ ही रक्त की भी वृद्धि हो शरीर पुष्ट हो जायेगा। इसके साथ ही मिलाकर तीन- तीन रत्ती सप्त अमृत लौह का भी सेवन किया जाये तो और भी श्रेष्ठ लाभ होता है।
- कई रोगियों पर प्रयोग कर हमने अनुभव किया हैँ।
- इससे नेत्रो की ज्योति बढने नेत्रो की ऐनक लगाने आवश्यकता नहीं पड़ती।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 6 माशे से 4 तोला, बराबर मिश्री मिलाकर दोनों समय दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – त्रिफला क्वाथ 6५ तोला, भाँगरे का रस 64 तोला, बाँसे का रस 64 तोला, शतावरी रस 64 तोला, बकरी का दूध 64 तोला, आमला रस 64 तोला, गिलोय का रस 64 तोला और घी 64 तोला-इस सबको एकत्र कर इन औषधियों का कल्क डालें। पीपल, मिश्री, मुनक्का, त्रिफला, नीलोफर, मुलेठी, क्षीरकाकोली, गुडूची, कटेरी-सबको मिलाकर 8 तोलालेकर कल्क बना लें। फिर सब एकत्र मिलाकर पकावें। जब समस्त जलांश भाग जल जाय, तब घृत छान कर रख लें। –भै. र.
वक्तव्य : कल्क अष्टमांश लेने से द्रव पदार्थ द्रवद्वैगुण्य परिभाषानुसार द्विगुण हो गए हैं।