Kashisadi Ghritam

कासीसादि घृत
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इस घृत की शरीर पर मालिश करने से समस्त प्रकार के कुष्ठ, दाद, पामा, विचर्चिका, शुक्र दोष, विसर्प, वातरक्त-जनित विस्फोट, सिर के फोड़े, उपदंश, नाड़ी त्रण, शोथ, भगन्दर, मकड़ी के विष-जनित फफोले आदि विकार नष्ट होते हैं। यह घृत व्रणशोधक, व्रण रोपक और व्रण वस्तु (फोड़ों के दागों) को मिटाकर त्वचा के वर्ण को सुधारता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – कासीस, हल्दी, दारुहल्दी, नागरमोथा, अशुद्ध हरिताल, अशुद्ध मैनसिल, कबीला, अशुद्ध गंधक, वायविडंग, अशुद्ध गुग्गुल, मोम, काली मिर्च, कूठ, अशुद्ध तृतिया, सफेद सरसों, रसौत, सिन्दूर, राल, लालचन्दन, इरिमेद की छाल, नीम की पत्ती, करंज के बीज, अनन्तमूल, बच, मंजीठ, मुलेठी, जटामांसी, सिरस की छाल, लोध्र, पद्मकाष्ठ, हरड़, पंवाड के बीज–प्रत्येक 7-7 तोला लेकर कूटने योग्य द्रव्यों का सुक्ष्म-कपड़छन चूर्ण करें, फिर गोघृत 1 सेर लेकर सब द्रव्य एकत्र मिला, ताम्रपात्र में 7 दिन तक खूब तेज धूप में रखा रहने दें एवं प्रतिदिन दो बार लकड़ी के डंडे से चला दिया करें। पश्चात् ताम्रपात्र से द्रव्यो सहित घृत को निकाल कर इमरतबान आदि पात्र में सुरक्षित रख लें। यह घृत मरहम की तरह लगाने के काम आता है। –शा. ध. सं.